प्रयास न्यूज़, कानपुर : जब से उत्तर प्रदेश में नई सरकार बनी है तब से कई जगहों के नाम परिवर्तन अभियान चालू कर दिए गए और इस पर कई सौ करोड़ रुपए भी खर्चा कर दिया गया आगे भी और खर्चा किया जाएगा प्रदेश में सबसे ज्यादा खर्चा इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने में किया गया । ऐसे ही अन्य जिलों के नाम भी परिवर्तित किए जा रहे हैं। बस्ती जिले का नाम परिवर्तन करने में एक करोड़ रुपए खर्चा होने की उम्मीद है, इसकी योजना भी बनकर तैयार हो गई है।
सामाजिक कार्यकर्ता एवं स्वतंत्र लेखक कान्ति शरण निगम ने वर्तमान हालातों पर सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में जहां ज्यादातर लोग गरीबी और भुखमरी के कारण आत्महत्या कर रहे हैं, कई परिवार बिखर रहे हैं वहां पर सर्वप्रथम प्राथमिकता उनको दो वक्त के भोजन की होनी चाहिए न कि अपनी राजनीति चमकाने के लिए व पार्टी का प्रचार करने के लिए जनता की मेहनत की कमाई से लिए गए कर से प्राप्त राजस्व के करोड़ों रुपए इस तरह बर्बाद किए जाएं।
यदि एक गरीब परिवार को एक लाख रुपए की आर्थिक मदद एकमुश्त की जाती है तो वह उसके परिवार के लिए एक साल तक के भोजन की व्यवस्था उचित रूप से करती है यानी कि एक करोड़ रुपए से सौ गरीब परिवारों के एक साल के भोजन की पूर्णतया व्यवस्था उनकी आर्थिक मदद के माध्यम से की जा सकती थी, साथ ही उन परिवारों के जो व्यक्ति काम काज करने लायक हैं वह मेहनत मजदूरी करके अपना आगे का भी जीवन यापन करने की व्यवस्था कर सकते हैं यह उनके लिए एक बहुत बड़ा सहारा बन सकता था। क्योंकि ज्यादातर मेहनत मजदूरी करने वालों को सात से नौ हजार प्रतिमाह वेतन अधिकांश फैक्ट्रियों में एवं दुकानों में काम करने पर दिया जाता है, जिसमें एक सामान्य गरीब परिवार पति पत्नी और बच्चों का पालन पोषण भी किसी तरह करता है।
एक गरीब परिवार को एक लाख रुपए की एकमुश्त आर्थिक सहायता देकर उसके परिवार के सभी सदस्यों के लिए एक साल के लिए भोजन की व्यवस्था हो सकती है तो फिर ऐसे में सरकारी राजस्व की यह बर्बादी क्यों की जा रही है।
. क्या यही हैं अच्छे दिन ....?
Prayas News MP/UP